Wo purane din wo suhane din, Piyush Mishra
वो पुराने दिन
वो सुहाने दिन
आशिक़ाने दिन
ओस की नमी में भीगे
वो पुराने दिन
दिन गुज़र गए
हम किधर गए
पीछे मुड़ के देखा पाया
सब ठहर गए
अकेले हैं खड़े
क़दम नहीं बढ़े
चल पड़ेंगे जब भी कोई
राह चल पड़े
जाएँगे कहाँ
है कुछ पता नहीं
कह रहे हैं वो
कि उनकी है ख़ता नहीं
वो सुहाने दिन
आशिक़ाने दिन
ओस की नमी में भीगे
वो पुराने दिन…
~ पीयूष मिश्रा